7 - चकबंदी होने के बाद 4-5 नाली से लेकर 20 नाली तक के चकों के लिए कृषि-बागवानी, पशुपालन, मौनपालन आदि की योजना का एक प्रारूप/सुझाव


(परिषद् की बागवानी योजना 1984-95 से संदर्भित)


जैसा हम सभी जानते हैं कि आज भी गाँवों में कुछ परिवार खेती – पाती के कार्यों पर ही निर्भर हैं या जैस-तैसे कर ही रहे हैं. चकबंदी होते ही सबसे पाहिले इन्ही लोगों के चकों को (जिसमें संभवत: वर्ग 4 अथवा वेनाप भूमि भी आएगी) समग्र रूप से विकसित किये जाने हेतु सरकार की ओर से सर्वप्रथम इन्हीं लोगों को समुचित सहायता उपलब्ध होनी चाहिए. इस सम्बन्ध में मेरा मानना है कि:-
चकबंदी होने से पाहिले ही इन लोगों की अलग से एक सूची तैयार होनी चाहिए तथा सुविधाजनक व उपजाऊ क्षेत्र में एक क्लस्टर के अन्दर इनको इनकी कुल जमीनों के हिसाब से चक दिए जाने चाहिए ताकि ये स्वयं मेहनत करके चकबंदी का असली मकसद पूरा कर सकेंगे (जिससे इन लोगों को देख-देख कर अन्य अगल-बगल के चकधारक भी प्रोत्साहित हो कर अपने-अपने चकों में कार्य करेंगे). इसमें यह भी अभी से ध्यान दिया जाना चाहिए कि जो भी व्यवसाइक योजनायें इनके चकों में ली जाय वे उस क्षेत्र की जलवायु एवं उपलब्ध संसाधनों (के सांथ-सांथ इनकी संभावित पैदावारों की बाजारों) को भी ध्यान में रख कर कम से कम तीन वर्षों के लिए पूर्णतया सरकारी अनुदान से संपन्न हों ताकि तीसरे वर्ष के बाद इन व्यवसाइक फसलों से चकधारकों की वार्षिक आय इतनी हो जानी चाहिए कि आगे वे इस बागवानी का विकास तथा विस्तार स्वयं कर सकें और उन्हें इसी कार्य के लिए फिर से सरकारी अनुदान पर आश्रित नाँ रहना पड़े. अत: योजना का प्रारूप निम्नवत सुझाया जाता है :-

  • 1- प्रत्येक चकधारक स्वयं अपने चक की घेर-बाड़ तथा बंजर भूमि में उग आई झाड़ियों व पेड़-पौंधों की सफाई करेगा तथा उसके बाद खेतों की टूटी पड़ी दिवालों का निर्माण/मरम्मत, हलिया-हल-बैल लगा कर उसे उपजाऊ बनाते हुए भूमि का समतलीकरण एवं भूमि तथा उसके पोषक तत्वों के संरक्षण हेतु खेतों के किनारों में घास की पट्टी आदि भी उगायेगा.।

  • 2- व्यवसाइक फल-पौंधे जो उनकी भूमि के लिए सुझाए गए हों, उनके लिय उचित दूरी पर उचित नाप के गड्डों का खुदान तथा उर्वरकयुक्त अच्छी मिटटी/कम्पोस्ट/केंचुओं की खाद से इन गड्डों का पुन: भरान करने के उपरांत इन्ही गड्डों में बीजारोपण के द्वारा वांछित फलों की बीजू पौंध तैयार करेगा तथा अगले मौसम में उन्हें बिना उखाड़े वहीँ पर Situ तकनीकी से (अखरोट आदि कुछों को छोड़ कर) कलमी बनायेगा जो कभी नहीं मरती और उनकी आयु भी काफी लम्बी होती है. (इस विधि से तैयार कलम अगर किसी कारण से सूख या मर भी जाती है तो भी मुख्य बीजू पौंध जिसकी जड़ें जमीन में अन्दर तक मजबूत होने के कारण वे पुन: पनप जाती हैं जिनमें फिर से आँख या कलम चढ़ा कर उन्हें उन्नत किस्म का बनाया जा सकता है. सरकारी पौंधे जलवायु परिवर्तन आदि कारणों से जड़ से ही सूख या मर जाती हैं जिसमें कास्तकारों का कीमती समय व श्रम के सांथ सांथ सरकारी पैंसों की भी बरबादी होती है)।

  • 3- परिवार के लिए पौष्टिक दूध व खेती के लिए जैविक खाद तथा खेतों की जुताई के लिय (जमीन की उपलब्धतानुसार) एक-एक या दो-दो स्थानीय बद्री गाय-बैल पालते हुवे केंचुवे की खाद भी तैयार करना जिसके लिए उचित नाप की टंकी तथा टिन की छत का निर्माण करना।

  • 4- चक के अन्दर वरसाती पानी को सीचाई हेतु इकटठा करने के लिए एक टेंक का भी निर्माण हो ताकि फल-पौंधों के बीच की खाली जगहों में सीचाई की सुविधा व नमी वाले स्थानों में मौसमी-वेमौसमी सब्जियों, दालों, मसालों, औषधीय पौंधों आदि को उगा कर उनकी भी पैदावारें लेना तथा बेचना संभव हो।

  • 5- सफल पर-परागण से अधिक से अधिक व उत्तम पैदावारों हेतु तथा मधुरस की सहज उपलब्धता हेतु भी चक/बगीचे के अन्दर ही 4-5 बक्सों में स्थानीय मधुमक्खियों (Apis Indica Cerena) को भी पालना।



जैसा हम सभी जानते हैं कि तीन वर्षों तक उपरोक्त अंकित इन सारे कार्यों को करने के दौरान चकधारकों के पास अन्य कोई भी आय का श्रोत नहीं होगा जिसके लिए उन्हें प्रथम दिन से ही प्रति 20 नाली भूमि के हिसाब से, प्रत्येक गाँव को एक करोड़ रुपये दिए जाने की जो घोषणा की गई है, उसमें से कृषि-बागवानी-पशुपालन-मौनपालन आदि हेतु निम्नवत एक मुख्य योजना बना कर आर्थिक सहायता भी प्रदान कराई जानी होगी (इसमें 10 - 10 नाली के दो परिवार या 5 - 5 नाली के चार परिवारों को मिला कर भी एक निश्चित रेसियो/पैमाने के अनुसार खेती पर निर्भर इन सभी परिवारों को सहायता दी जानी चाहिए क्योंकि अधिक भूमिधर इसी श्रेणी में आयेंगे| बड़ी भूमि वालों के लिए अलग से बड़ी योजनायें बनाई जानी चाहिए.) अत: प्रति 20 नाली भूमि पर योजना का प्रारूप निम्नवत देखें :-

  • 1- चकाधारक की मजदूरी :- प्रत्येक परिवार के दो व्यक्तिओं को प्रतिदिन की कम से कम एक निश्चित मजदूरी को अनुदान के तौर पर रु० 150/- प्रति व्यक्ति प्रति दिन के हिसाब से जो रु० 9000/- प्रति मांह होगी, तीन वर्षों तक दिया जाना शुनिष्चित हो. जो 300X30दिनX12मांहX3वर्ष -- = रु० 324000/- होगा.।

  • 2- चक के अन्दर सीचाई के लिए वर्षाती जल संग्रहण हेतु एक डिग्गी का निर्माण :- -- रु० 20000/-।

  • 3- फलों के पौधों की कीमत :- प्रति 20 नाली (1 एकड़) में लगभग 100 फल-पौधों की कीमत जो Situ विधि द्वारा स्वयं चक मालिकों द्वारा तैयार की गई हों उनकी रु० 200/- प्रति पौंध के हिसाब से (जो सरकारी दरों से काफी कम हैं), यह राशि भी योजन अंतर्गत चकधारकों के परिवार की बरिष्ट महिला के खाते में देय होनी चाहिए. -- = रु० 20000/-।

  • 4- सब्जियों के बीज :- उक्त चक के अन्दर पैदा हो सकने वाले मौसमी तथा वेमौसमी सब्जियों के बीजो हेतु -- रु० 10000/-।

  • 5- मसालों के बीज :- जैसे अदरक, हल्दी, लहसुन के बीज व बड़ी इलायची के पौंधों हेतु -- रु० 10000/-।

  • 6- जैविक, रसायनिक तथा हरी खादें :- इनके लिए सभी दालों के बीज व कीट-व्याधि नासक दवाइयाँ जैसे—1) हरी खाद एवं सभी दालों के बीज 2) रासायनिक एवं जैविक खादें 3) सूक्ष्म पोषक तत्व तथा केचुवे की खाद हेतु सीमेंट का गड्डा व केंचुवे. इनके लिए धनराशी -- रु० 20000/-।

  • 7- खेती के औजार तथा मशीनें :- 1) कुदाली, फावड़े, बेलचे, कैंची, आरी, चाकू, पौलिथिन आदि 2) बाल्टी, मग, फुंहारा आदि ३) दवाइयों के छिड़काव हेतु मशीनें आदि. इनके लिए धनराशी -- रु० 15000/-।

  • 8- खेतों की जुताई के लिए :- स्थानीय 2 (दो) बैलों हेतु -- रु० 30000/- ।

  • 9- खेती के लिए गोवर की खाद एवं दूध हेतु :- 2 (दो) पहाड़ी बद्री गायें -- रु० 10000/-।

  • 10- मधुमक्खी पालन हेतु :- 8 फ्रेम वाले 5 बक्सों के सांथ अन्य आवश्यकीय उपकरणों की खरीद हेतु -- रु० 15000/-।

  • 11- क्रय-बिक्रय हेतु :- प्लास्टिक कैरेट, तराजू-बट्टे आदि -- रु० 5000/-।

  • 12- उपरोक्त सामग्रियों के किराए-भाड़े हेतु :- -- रु० 21000/- ।


  • प्रति 20 नाली भूमि विकास पर कुल खर्चा ------------------------------ रु० 500000/- (पांच लाख मात्र)|

                                                                                                                                                                        (के० एन० तेवाड़ी)
                                                                                                                                                                        सलाहकार गरीब क्रांति अभियान उत्तराखंड
                                                                                                                                                                        ग्राम भटोडिया, पो० खिरखेत, रानीखेत,
                                                                                                                                                                        अल्मोड़ा, उत्तराखंड.