2 - चकबन्दी होती तो


  • 1- राज्य के लगभग दस लाख परिवारों को ग्रामीण क्षेत्र में ही पूर्ण रूप से स्वरोजगार मिलता।

  • 2- प्रत्येक परिवार अपनी सोच, सुविधा, योग्यता, सामथ्र्य और आवश्यकता के अनुसार योजना बना पाता।

  • 3- वैज्ञानिक तरीके से लाभकारी खेती, बागवानी, पशुपालन वानिकी आदि का कार्य होता।

  • 4- अनुसूचित जाति-जनजाति के भूमिहीनों को भी भू-स्वामित्व का अधिकार मिल जाता।

  • 5- कृषि उत्पादन में लगभग दस से पन्द्रह गुना वृद्धि होती और किसान की क्रय शक्ति बढ़ती।

  • 6- भूमि व जल संरक्षण तथा पर्यावरण व विकास कार्याें में जनता की स्वैच्छिक भागीदारी सुनिश्चित होती।

  • 7- गांव व खेती के प्रति रुचि बढ़ती और पलायन की प्रवृत्ति घटती।

  • 8- मूल निवास, मूल व्यवसाय, मूल भाषा तथा हमारी पहचान व हैसियत की सुरक्षा होती।

  • 9- घरेलू कुटीर उद्योगों तथा कृषि विपणन और कृषि के प्रति रुचि बढ़ती।

  • 10- स्वीकृत बजट का सदुपयोग होता और गरीबी, मंहगाई व भ्रष्टाचार पर अंकुश लगता।

  • 11- महिलाओं के ऊपर से काम का बोझ कम होता तथा उनकी आय व स्वालम्बन में वृद्धि होती।

  • 12- भाई बंटवारे-संटवारे, क्रय-विक्रय संजायती खाते सम्बन्धी भूमि विवाद समाप्त होते।

  • 13- कठिन ग्रामीण जीवन आसान होता और शहरों की भीड़ भी कम होती।

  • 14- हमारा अपना कृषि पैटर्न तैयार होता।

  • 15- गांव में रहने से शुद्ध ताजा व पौष्टिक जैविक आहार खाने को मिलता।

  • 16- ग्रामीण युवाओं को सही दिशा मिलती और बच्चों के घर से न भागने से बाल मजदूरी समाप्त होती।

  • 17- सार्थक विकास के लिये तब चिंतन-मनन होता।

  • 18- गांवों की जनशक्ति बढ़ती और जनसंख्या के अनुसार परिसीमन की समस्या सुलझती।

  • 19- हमारे लोक संस्कार, संस्कृति, बोली-भाषा रिश्ते नाते तथा गांव व खेती सुरक्षित रहती।

  • 20- हर हाथ को काम, हर पेट को रोटी व हर खेत को पानी मिलता।

  • 21- पहाड़ का किसान अपनी 1 हैक्टेयर भूमि में लाखों रुपयों का उत्पादन करता।

  • 22- कृषि और ग्रामीण विकास के नाम पर प्रति वर्ष अरबों रुपये की बरबादी न होती।

  • 23- खेत सरसब्ज होते घर आबाद होते और न युवा काम काज में होते।

  • 24- जंगली जानवरों द्वारा जान एवं माल की भारी क्षति न होती।

  • 25- पहाड़ का किसान भी कृषि अनुदान व आधुनिक तकनीक का लाभ उठाता।

  • 26- समाज में आशा, उत्साह व विश्वास का वातावरण बनता और राज्य खुशहाल होता।

  • 27- काश्तकार, शिल्पकार एवं दस्तकार अपना पुश्तैनी कार्य छोड़कर दर-दर न भटकता।

  • 28- पहाड़ी राज्य की मूल आत्मा जिन्दा रहती और अपनी पहचान व सम्मान की रक्षा होती।

  • 29- उत्तराखण्ड आन्दोलन और पृथक पहाड़ी राज्य का सपना वास्तव में साकार होता।