बीरोंखाल 27.06.2015 गरीब क्रान्ति अभियान के बैनर के तले विकास खण्ड स्तर पर ‘‘कैसे आबाद हो ख्ेात व कैसे रुके पलायन व चकबन्दी’’ की भूमिका को लेकर आयोजित जनजागरूकता गोष्ठी में आज प्रतिभागियों एवं वक्ताओं ने कई बहूमूल्य सुझाव दिये।
मुख्य अतिथि गणेश गरीब जी उत्तराखण्ड में पलायन की त्रासदी पर बोलते हुए उन्होनें कहा कि समय रहते हुऐ यदि चकबन्दी नहीं की गयी तो उत्तराखण्ड में बाकी बचे हुऐ लोग भी पलायन करने में मजबूर हो जोयेगें उन्होने विकासखण्ड बीरोंखाल के विभिन्न ग्रामों से आये प्रधानों, क्षेत्र एंव जिला पचायत सदस्यों व समाजिक कार्यकर्ताओं का आवाहन किया कि वे जनता को चकबन्दी का सन्देष गांव गांव पहंुचाने का प्रयास करें क्योकि अन्ततः चकबन्दी क्षेत्रों में ही लागू होना है जिसके लिये जन सहभागिता अपरिहार्य है। उन्होने चकबन्दी के लाभ के बारे में सीधी और सामान्य जानकारी जनसमुदाय के बीच में रखी और कहा कि उत्तराखण्ड में अपार सम्भावनाएं हैं। लेकिन इसके लिये भुूमि का एकत्रीकरण करना होगा। आजादी के बाद देश कई प्रान्तों में चकबन्दी करने से वहां कृषि उत्पादकता कई गुनी बढी और वहां सम्पन्नता आई। लोग अपनी जमीन योजनाबद्ध तरीके से कार्य करने को तैयार हैं बसरते उनकी जमीन एक जगह पर हो।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए ब्लाक प्रमुख बीरोंखाल ने आश्वासन दिया कि विकासखण्ड की ओर से प्रस्ताव सरकार को भेजेंगे साथ ही चकबन्दी के विचार को आगे बढाने के लिये आगे भी पूर्ण सहयोग देने को कहा।
75 वर्षीय पूर्व ब्लाक प्रमुख दयाल सिंह बिष्ट ने कहा कि एक समय ऐसा था जब लोग गरीब जी के इस अभियान का विरोध किया करते थे लेकिन आज के सन्दर्भ में उनकी बात अक्षरस उचित सिद्ध होने लगी है। उत्तराखण्ड बनने के बाद पर्वतीय क्षेत्र में सिर्फ पलायन ही हुया है खेत बन्जर व गांव खंडर हुये हैं उन्होने कहा कि बन्दरों व अन्य जंगली जानवरो के आतंक से निपटने के लिये सरकार की और से कोई पहल नहीं की जा रही है। जिससे पलायन बढ रहा है उन्हाने इस बात पर चिन्ता व्यक्त की कि इसी तरह अगर पलायन होता रहा तो जनप्रतिनिधियों की संख्या अगले परिसीमन में और घट जायेगी। उद्यान विषय के जानकार हल़्द्धानी से आये केवलानन्द तिवारी ने बागबानी पर जोर देकर कहा कि उत्तराखण्ड में बागवानी के क्षेत्र में बहुत कुछ किया जा सकता है बषर्ते उनको गंभीरता से चलाया जाय आज हम हिमाचल का सेब, असम का केला व नागपुर का सन्तरा खाने को मजबूर हैं यदि हमने उद्यान के क्षेत्र में सही नीति बनाकर कार्य किया होता तो उत्तराखण्ड भारत के अनेक राज्यों में विभिन्न किस्मों के फलों की आपूर्ति करता।
पूर्व प्रधानाचार्य वाचस्पति बहुखण्डी ने कहा कि स्वैछिक चकबन्दी नहीं राज्य में अनिवार्य चकबन्दी लागू होनी चहिये। सुन्द्रियाल प्रोडक्षन के मनीष सुन्दरीयाल ने कहा कि यदि हम हिमाचल की बात करते है तो हमें हिमाचल की तर्ज विकास नीतियां बनानी पडेगी। उन्होने कहा सरकार टैक्टर को तो सब्सीडी दे रही है मगर हल लगाने के लिये बैल के लिये उनके पास कोई सब्सीडी नहीं है। पर्यावरण विद् डा जे0पी0 सेमवाल ने कहा कि गांव में समृद्धि लानी है तो चकबन्दी करनी होगी। इस चर्चा जनार्दन बडाकोटी, तनु पंत, कुलबीर रावत छिलबट, एल मोहन कोठियाल रविन्द्र रावत बीरोंखाल जिला सघर्ष समिति के अध्यक्ष चित्र सिंह कण्डारी आदि वक्ताओं ने अपने अपने विचार रखे। चर्चा में ग्रामीण अंचल से आये लोगों ने कई सवाल उठायें चकबन्दी विषेषज्ञों द्धारा उनका उत्तर दिया गया। इस कार्यक्रम में चीड़ हटाओ, बांज लगाओ आन्दोलनकारी रमेश बौडाई, क्षेत्र पंचायत सदस्य मुकेश पोखरियाल, कई गा्रम सभाओं के प्रधान के साथ-साथ ध्यान पाल सिंह गुसाईं, राजेश बहुखण्डी मोहन सिंह, देवेन्द्र नेगी, भागेश्वरी देवी, शाकम्बरी देवी, अरविन्द सिंह, विनोद रावत बिनू भाई, विष्णु रावत, अनूप पटवाल आदि लोग शामिल थे कार्यक्र्रम का संचालन हेमन्त नेगी एंव बलबन्त गुसाई द्धारा सयुंक्त रूप से किया गया।
मुख्य अतिथि गणेश गरीब जी उत्तराखण्ड में पलायन की त्रासदी पर बोलते हुए उन्होनें कहा कि समय रहते हुऐ यदि चकबन्दी नहीं की गयी तो उत्तराखण्ड में बाकी बचे हुऐ लोग भी पलायन करने में मजबूर हो जोयेगें उन्होने विकासखण्ड बीरोंखाल के विभिन्न ग्रामों से आये प्रधानों, क्षेत्र एंव जिला पचायत सदस्यों व समाजिक कार्यकर्ताओं का आवाहन किया कि वे जनता को चकबन्दी का सन्देष गांव गांव पहंुचाने का प्रयास करें क्योकि अन्ततः चकबन्दी क्षेत्रों में ही लागू होना है जिसके लिये जन सहभागिता अपरिहार्य है। उन्होने चकबन्दी के लाभ के बारे में सीधी और सामान्य जानकारी जनसमुदाय के बीच में रखी और कहा कि उत्तराखण्ड में अपार सम्भावनाएं हैं। लेकिन इसके लिये भुूमि का एकत्रीकरण करना होगा। आजादी के बाद देश कई प्रान्तों में चकबन्दी करने से वहां कृषि उत्पादकता कई गुनी बढी और वहां सम्पन्नता आई। लोग अपनी जमीन योजनाबद्ध तरीके से कार्य करने को तैयार हैं बसरते उनकी जमीन एक जगह पर हो।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए ब्लाक प्रमुख बीरोंखाल ने आश्वासन दिया कि विकासखण्ड की ओर से प्रस्ताव सरकार को भेजेंगे साथ ही चकबन्दी के विचार को आगे बढाने के लिये आगे भी पूर्ण सहयोग देने को कहा।
75 वर्षीय पूर्व ब्लाक प्रमुख दयाल सिंह बिष्ट ने कहा कि एक समय ऐसा था जब लोग गरीब जी के इस अभियान का विरोध किया करते थे लेकिन आज के सन्दर्भ में उनकी बात अक्षरस उचित सिद्ध होने लगी है। उत्तराखण्ड बनने के बाद पर्वतीय क्षेत्र में सिर्फ पलायन ही हुया है खेत बन्जर व गांव खंडर हुये हैं उन्होने कहा कि बन्दरों व अन्य जंगली जानवरो के आतंक से निपटने के लिये सरकार की और से कोई पहल नहीं की जा रही है। जिससे पलायन बढ रहा है उन्हाने इस बात पर चिन्ता व्यक्त की कि इसी तरह अगर पलायन होता रहा तो जनप्रतिनिधियों की संख्या अगले परिसीमन में और घट जायेगी। उद्यान विषय के जानकार हल़्द्धानी से आये केवलानन्द तिवारी ने बागबानी पर जोर देकर कहा कि उत्तराखण्ड में बागवानी के क्षेत्र में बहुत कुछ किया जा सकता है बषर्ते उनको गंभीरता से चलाया जाय आज हम हिमाचल का सेब, असम का केला व नागपुर का सन्तरा खाने को मजबूर हैं यदि हमने उद्यान के क्षेत्र में सही नीति बनाकर कार्य किया होता तो उत्तराखण्ड भारत के अनेक राज्यों में विभिन्न किस्मों के फलों की आपूर्ति करता।
पूर्व प्रधानाचार्य वाचस्पति बहुखण्डी ने कहा कि स्वैछिक चकबन्दी नहीं राज्य में अनिवार्य चकबन्दी लागू होनी चहिये। सुन्द्रियाल प्रोडक्षन के मनीष सुन्दरीयाल ने कहा कि यदि हम हिमाचल की बात करते है तो हमें हिमाचल की तर्ज विकास नीतियां बनानी पडेगी। उन्होने कहा सरकार टैक्टर को तो सब्सीडी दे रही है मगर हल लगाने के लिये बैल के लिये उनके पास कोई सब्सीडी नहीं है। पर्यावरण विद् डा जे0पी0 सेमवाल ने कहा कि गांव में समृद्धि लानी है तो चकबन्दी करनी होगी। इस चर्चा जनार्दन बडाकोटी, तनु पंत, कुलबीर रावत छिलबट, एल मोहन कोठियाल रविन्द्र रावत बीरोंखाल जिला सघर्ष समिति के अध्यक्ष चित्र सिंह कण्डारी आदि वक्ताओं ने अपने अपने विचार रखे। चर्चा में ग्रामीण अंचल से आये लोगों ने कई सवाल उठायें चकबन्दी विषेषज्ञों द्धारा उनका उत्तर दिया गया। इस कार्यक्रम में चीड़ हटाओ, बांज लगाओ आन्दोलनकारी रमेश बौडाई, क्षेत्र पंचायत सदस्य मुकेश पोखरियाल, कई गा्रम सभाओं के प्रधान के साथ-साथ ध्यान पाल सिंह गुसाईं, राजेश बहुखण्डी मोहन सिंह, देवेन्द्र नेगी, भागेश्वरी देवी, शाकम्बरी देवी, अरविन्द सिंह, विनोद रावत बिनू भाई, विष्णु रावत, अनूप पटवाल आदि लोग शामिल थे कार्यक्र्रम का संचालन हेमन्त नेगी एंव बलबन्त गुसाई द्धारा सयुंक्त रूप से किया गया।