उत्तराखण्ड राज्य भी हिमाचल की तरह संभावनाओं से परिपूर्ण है किन्तु भूमिसुधार और चकबन्दी के न होने से पहाड़ी अंचल में हताशा व निराशा का माहौल है। जितनी जल्दी इनका समाधान चकबन्दी होगा उतनी जल्द पहाड़ में कृषि व बागवानी की राह आसान होगी।
इन विसंगतियों दूर करने की लगातार मांग होने से सरकार अब राज्य में चकबन्दी करने जा रही है। बिखरी खेती के कारण पर्वतीय क्षेत्र में कृषि के अलाभकारी होने से लोग खेती छोड़ते जा रहे जिससे बंजर और गांव खण्डहरों तब्दील होते जा रहे हैं। यह स्थिति इस नये पृथक राज्य के लिये पीड़ाजनक है। राज्य में पलायन की विकराल समस्या चकबन्दी में निहित है जिसकी मांग सामाजिक कार्यकर्ता व संगठन विगत चार दशकों से उठा रहे हैं। विशेष रूप से चकबन्दी नेता गणेशसिंह ‘गरीब’ की द्वारा आरम्भ की गई यह मुहिम अब रंग लाई रही है और चकबन्दी अब आम जन मानस में चर्चा के केन्द्र में है। गरीब क्रान्ति अभियान विगत चार वर्ष से भूमि की चकबन्दी की मांग को लेकर राज्य भर में जनजागरण में लगा है और अब तक अनेक आयोजन कर चुका है। इनमें इस अभियान द्वारा मार्च 2012, 2013 एवं 2015 में देहरादून में चकबन्दी दिवस का आयोजन, 2014 को जन्तर मन्तर पर चकबन्दी दिवस का आयोजन, श्रीनगर गढवाल़ में मई 2012 में चकबन्दी पर पुस्तिका विमोचन, 2014 जुलाई में गढ़वाल भवन, देहरादून में चकबन्दी पर गोष्ठी, 2014 अक्टूबर को पौड़ी में 2 दिवसीय मंथन शिविर का आयोजन, 2014 नवम्बर को धुमाकोट में चकबन्दी जागरूकता गोष्ठी एवं 2015 जून को बीरोंखाल में चकबन्दी जागरूकता गोष्ठी आ आयोजन किया जा चुका है। यह एक नितान्त जनसहयोग से चलने वाला गैर राजनीतिक फोरम है जिससे अनेकों प्रबुद्धजन व युवा सम्बद्ध हैं। इसका एक मकसद चकबन्दी के प्रति समाज में जागृति लाने के अलावा विषय पर चर्चा परिचर्चा के दौर को आगे बढ़ाना ताकि जनआकाक्षांओं के अनुरुप चकबन्दी हो सके और बंजरखेत सरसब्ज हो सकें।
गरीब क्रान्ति अभियान द्वारा इसी क्रम में 26 सितम्बर दिन शनिवार को अल्मोड़ा में एक गोष्ठी रखी गई है। जनसहयोग से किये जाने वाले इस कार्यक्रम के माध्यम से हमारा उद्देश्य सरकार व जनता में चकबन्दी को लेकर उत्तराखण्ड में जागरूकता का प्रसार के साथ इसे लेकर विभिन्न प्रकार सवालों व समस्याओं व सुझावों पर व्यापक चर्चा करवाना है जिससे जनआकाक्षाओं के अनुरूप राज्य के पर्वतीय अंचल में बेहतर चकबन्दी का मार्ग प्रशस्त हो सके। कुमायूं अंचल में इस तरह की यह पहली गोष्ठी होगी। जिसमें गांव और चकबन्दी की बात को लेकर कई विषयों पर्वतीय क्षेत्र में कृषि सम्बन्धित विषयों व विसंगतियों यथा पारम्परिक प्रणाली, कृषि क्षेत्र की उपेक्षा व प्रभाव, पलायन की मार, मैदान में चकबन्दी के लाभ, दूसरे राज्यों में चकबन्दी, बिखरी खेती से अलाभकारी होती कृषि, भूमि एकत्रीकरण के लाभ, कृषि क्षेत्र में संभावनायें ग्रामीण लघु उद्यम व कृषि जन्य रोजगार, सरकारी योजनायंे, राज्य में भूमि की स्थिति, कृषि भूमि की बरबादी, कृषि भूमि विक्रय पर प्रतिबन्ध, भूमि अधिग्रहण, नगरीकरण और कृषि, बन्दोबस्त, रिकार्ड सुधारीकरण, भूमि संटवारे के प्राविधान, भूमि सम्बन्धी दूसरे सवाल व समाधान, पर्यावरण, जंगलों की आग, चीड़ का प्रसार, जंगली जानवरों का आतंक व पारम्परिक बीज जैसे विषयों पर बात हो सकती है। गोष्ठी में आये सुझाव सरकार के समक्ष रखे जायेंगें।
दिनांक: 26 सितम्बर, 2015 (शनिवार): समय-10.30 बजे प्रातः से सायं 3 बजे तक
आयोजन स्थल: गोविन्द बल्लभ पंत राजकीय संग्रहालय, अल्मोड़ा
प्रमुख बिन्दु
चकबन्दी, समाचार पत्रों के आइने में, चकबंदी गीत, स्वैच्छिक चकबन्दी के प्रयोग पर लघु फिल्म
परिचर्चा, विशेषज्ञों की बात, विचार विमर्श, प्रश्नोत्तर, जनसुझाव एवं मांग पत्र, आगामी कार्यक्रम पर चर्चा।
धन्यवाद!
हयात सिंह रावत
गरीब क्रान्ति अभियान उत्तराखण्ड
इन विसंगतियों दूर करने की लगातार मांग होने से सरकार अब राज्य में चकबन्दी करने जा रही है। बिखरी खेती के कारण पर्वतीय क्षेत्र में कृषि के अलाभकारी होने से लोग खेती छोड़ते जा रहे जिससे बंजर और गांव खण्डहरों तब्दील होते जा रहे हैं। यह स्थिति इस नये पृथक राज्य के लिये पीड़ाजनक है। राज्य में पलायन की विकराल समस्या चकबन्दी में निहित है जिसकी मांग सामाजिक कार्यकर्ता व संगठन विगत चार दशकों से उठा रहे हैं। विशेष रूप से चकबन्दी नेता गणेशसिंह ‘गरीब’ की द्वारा आरम्भ की गई यह मुहिम अब रंग लाई रही है और चकबन्दी अब आम जन मानस में चर्चा के केन्द्र में है। गरीब क्रान्ति अभियान विगत चार वर्ष से भूमि की चकबन्दी की मांग को लेकर राज्य भर में जनजागरण में लगा है और अब तक अनेक आयोजन कर चुका है। इनमें इस अभियान द्वारा मार्च 2012, 2013 एवं 2015 में देहरादून में चकबन्दी दिवस का आयोजन, 2014 को जन्तर मन्तर पर चकबन्दी दिवस का आयोजन, श्रीनगर गढवाल़ में मई 2012 में चकबन्दी पर पुस्तिका विमोचन, 2014 जुलाई में गढ़वाल भवन, देहरादून में चकबन्दी पर गोष्ठी, 2014 अक्टूबर को पौड़ी में 2 दिवसीय मंथन शिविर का आयोजन, 2014 नवम्बर को धुमाकोट में चकबन्दी जागरूकता गोष्ठी एवं 2015 जून को बीरोंखाल में चकबन्दी जागरूकता गोष्ठी आ आयोजन किया जा चुका है। यह एक नितान्त जनसहयोग से चलने वाला गैर राजनीतिक फोरम है जिससे अनेकों प्रबुद्धजन व युवा सम्बद्ध हैं। इसका एक मकसद चकबन्दी के प्रति समाज में जागृति लाने के अलावा विषय पर चर्चा परिचर्चा के दौर को आगे बढ़ाना ताकि जनआकाक्षांओं के अनुरुप चकबन्दी हो सके और बंजरखेत सरसब्ज हो सकें।
गरीब क्रान्ति अभियान द्वारा इसी क्रम में 26 सितम्बर दिन शनिवार को अल्मोड़ा में एक गोष्ठी रखी गई है। जनसहयोग से किये जाने वाले इस कार्यक्रम के माध्यम से हमारा उद्देश्य सरकार व जनता में चकबन्दी को लेकर उत्तराखण्ड में जागरूकता का प्रसार के साथ इसे लेकर विभिन्न प्रकार सवालों व समस्याओं व सुझावों पर व्यापक चर्चा करवाना है जिससे जनआकाक्षाओं के अनुरूप राज्य के पर्वतीय अंचल में बेहतर चकबन्दी का मार्ग प्रशस्त हो सके। कुमायूं अंचल में इस तरह की यह पहली गोष्ठी होगी। जिसमें गांव और चकबन्दी की बात को लेकर कई विषयों पर्वतीय क्षेत्र में कृषि सम्बन्धित विषयों व विसंगतियों यथा पारम्परिक प्रणाली, कृषि क्षेत्र की उपेक्षा व प्रभाव, पलायन की मार, मैदान में चकबन्दी के लाभ, दूसरे राज्यों में चकबन्दी, बिखरी खेती से अलाभकारी होती कृषि, भूमि एकत्रीकरण के लाभ, कृषि क्षेत्र में संभावनायें ग्रामीण लघु उद्यम व कृषि जन्य रोजगार, सरकारी योजनायंे, राज्य में भूमि की स्थिति, कृषि भूमि की बरबादी, कृषि भूमि विक्रय पर प्रतिबन्ध, भूमि अधिग्रहण, नगरीकरण और कृषि, बन्दोबस्त, रिकार्ड सुधारीकरण, भूमि संटवारे के प्राविधान, भूमि सम्बन्धी दूसरे सवाल व समाधान, पर्यावरण, जंगलों की आग, चीड़ का प्रसार, जंगली जानवरों का आतंक व पारम्परिक बीज जैसे विषयों पर बात हो सकती है। गोष्ठी में आये सुझाव सरकार के समक्ष रखे जायेंगें।
कार्यक्रम
दिनांक: 26 सितम्बर, 2015 (शनिवार): समय-10.30 बजे प्रातः से सायं 3 बजे तक
आयोजन स्थल: गोविन्द बल्लभ पंत राजकीय संग्रहालय, अल्मोड़ा
प्रमुख बिन्दु
चकबन्दी, समाचार पत्रों के आइने में, चकबंदी गीत, स्वैच्छिक चकबन्दी के प्रयोग पर लघु फिल्म
परिचर्चा, विशेषज्ञों की बात, विचार विमर्श, प्रश्नोत्तर, जनसुझाव एवं मांग पत्र, आगामी कार्यक्रम पर चर्चा।
धन्यवाद!
हयात सिंह रावत
गरीब क्रान्ति अभियान उत्तराखण्ड