कलजीखालः चकबन्दी के प्रति ग्रामीण समाज में जागरूकता का प्रसार हो और वह इसे अपनाने के लिये आगे बढे़ इसे महसूस करते हुये गरीब क्रान्ति अभियान द्वारा ब्लाक स्तरीय जनजागरूकता कार्यक्रमों के क्रम में 24 नवम्बर को कलजीखाल में “गाँव की बात किसान के साथ” कार्यक्रम आयोजन किया गया । इस कार्यक्रम में किसानों ओर जनप्रतिनिधियों की कई सवाल भी उठायेे गये तो कई सुझाव भी सामने रखे गये।
कार्यक्रम का आगाज 9.30 बजे छात्र- छात्राओं के द्वारा चकबंदी जागरूकता रैली से हुआ जो प्रगतिशील शिक्षक मुकेश बहुगुणा, राजकीय इन्टर कालेज मुंडेश्वर की अगुआई में निकली। इस रैली में बच्चों के द्वारा नारे गंुजायमान किये गये। ठीक 10.30 बजे यह जूलुस कार्यक्रम स्थल ब्लाॅक संशाधन केन्द्र पहुंचा। इसका आरम्भ चकबन्दी गीत से हुआ जिसे रा.ई. कालेज मुण्डेश्वर की छात्रा शिवानी नेगी, शिवानी उनियाल, मीनाक्षी, मानसी, नैनिका, सुनीता द्वारा प्रस्तुत किया गया। वरिष्ठ पत्रकार एल मोहन कोठियाल ने गरीब क्रान्ति अभियान की पृष्ठभूमि पर प्रकाश डाला और बताया कि किस प्रकार चार साल पहले युवा कपिल डोभाल के द्वारा इसका बीज बोया गया गया था और कैसे लोग इससे जुड़ते चले गये। उन्होंने बताया कि चकबन्दी की मांग कलजीखाल से उठी और किस प्रकार से यह आज यह जन-जन की मांग बन गई है।
इसके बाद कार्यक्रम में मौजूद व्यक्तियों के द्वारा विचार प्रकट करने का सिलसिला आरम्भ हुआ जो दोपहर तीन बजे तक चला। शुरूआत में पत्रकार जगमोहन डांगी ने आम पर्वतीय ग्रामीणांे की व्यथा को श्रोताओं के समक्ष रखा और चकबंदी की आवश्यकता पर जोर दिया। ग्राम सूला से आई 15 वर्षीय छात्रा शिवानी नेगी ने कहा कि पलायन के लिये स्वास्थ, शिक्षा, रोजगार मात्र बहाने है दरअसल में सुलभ जीवन की इच्छा में पहाड़ से लोग पलायन कर रहे हैं। सामाजिक कार्यकत्र्ता विशम्बर नेगी ग्राम झटकण्डी ने आम पर्वतीय ग्रामीणों में कर्मठता के अभाव एवम् सुलभ जीवन की तलाश को कृषि उपेक्षा और पलायन का कारण बताया। इसके लिये उन्होंने उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में बिखरी जोतांे को एक करने के लिये चकबंदी अपनाने पर जोर दिया। झटकण्डी निवासी किसान ध्यान सिंह नेगी ने “पुगंड़ी मेरी द्वी नाली की, गदना का पल्या छाल चा, डांडाकि पुगडि़ बांजी रैगे मन का हुई कन हाळ चा” गीत के माध्यम से खेती किसानी की व्यथा उकेरी और आह्वान किया कि अब चकबन्दी का समय आ गया है। कृषक अनिल कुमार ग्राम दिवई पर्वतीय कृषि उत्पादों को बिक्री के बाजार न मिल पाने को कृषि उपेक्षा का प्रमुख कारण बताया। उन्हांेने बताया कृषि को मनरेगा से जोड़ना वर्तमान समय की दरकार है। पूर्व प्रमुख कल्जीखाल सुरेन्द्रसिंह नेगी ने बताया की उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र की युवा पीढ़ी द्वारा कृषि को अपनाना जरूरी है। ज्येष्ठ प्रमुख महेन्द्र कुमार ने कहा कि पहाड़ में दलित समाज में भूमिहीनता की स्थिति के समाधान के लिये उनको जमीन देने की बात की। प्रदेश प्रधान संगठन के उपाध्यक्ष जगपालसिंह नेगी ने कहा कि चकबंदी के लिये आम पर्वतीय जनमानस एवम् सरकार का परस्पर सहयोग बहुत जरूरी है। ऋषिकेश से कार्यक्रम में शामिल होने पहुँचे एवं कोट विकासखण्ड के मूल निवासी सामाजिक कार्यकर्ता विनोद भट्ट ने गरीब क्रांति को वित्त मदद प्रदान करने की इच्छा जतायी और इस जागरूकता अभियान में हर सम्भव सहायता का आश्वासन दिया। उन्हांेने क्षेत्रीय पत्रकारांे और सामाजिक सरोकारो से जुड़े व्यक्तियों से अनुरोध किया कि वे चकबंदी जागरूकता को आमजन पहुँचने में अपना अमूल्य सहयोग प्रदान करे। कोटद्वार से पहुँचे जनार्दन बुडाकोटी ने बताया की चकबंदी को अधिनियम बना कर अनिवार्य रूप से प्रदेश में लागू किया जाये, उन्हांेने बताया की पूर्ण रूप पलायनित परिवारों की भूमि को सरकार द्वारा जब्त किया जाना चाहिये। गरीब क्रांति के संयोजक कपिल डोभाल ने श्रोताआंे के समक्ष अपनी व्यथा रखी। उन्होंने बताया कि चकबंदी के लिये किये गये गरीब क्रान्ति अभियान के द्वारा किये गये कार्य को सरकार के द्वारा स्वीकार किया जाना चाहिये था किन्तु अब तक ऐसा नहीं हुआ है। आज सरकार जो चकबंदी के नाम पर जो विधेयक लाई है उसमंे चकबंदी शब्द का जिक्र ही नहीं है। सरस्वती देवी ग्राम सूला ने बताया की जय किसान जय जवान नारा आज बेमानी साबित हो रहा है क्योंकि जो मदद और सम्मान जवान को प्राप्त हो रहा है वो किसान को प्राप्त नही हो रहा है। उन्हांेने बताया की किसान बस मर रहा है या पलायन कर रहा है। गरीब जी की धर्मपत्नी सरस्वती देवी ने कहा कि मां और मातृभूमि की उपेक्षा कर कोई समाज आगे नहीं बढ़ सकता है। शेखर मजेडा ने कहा कि हमंे वयोवृद्ध प्रगतिशील कृषक विद्यादत्त शर्मा जैसे क्षेत्रीय पर्वतीय कृषकों से सीखना होगा। उन्हांेने कहा कि आधुनिकरण की अंधी दौड़ का शिकार हो गये हैं। चकबन्दी नेता एवं सलाहकार समिति के उपाध्यक्ष गणेशसिंह गरीब ने कहा कि जब कोई समाज से अलग हट के परिवर्तन के लिये आंदोलन की नींव रखता है उसे लोग अपशब्द बोल के पागल की संज्ञा देते है पर निस्वार्थ मेहनत एक न एक दिन अपना रंग लाती है। उन्होंने बताया की गाँव से जिनका कोई नाता नही है उनकी भूमिहीनों और गाँव में खेती रहे कृषकों को सौपने के लिये कानून बनाया जाये। ब्लॉक अध्यक्ष काँग्रेस संजय डबराल ने बताया कि गरीब जी को चाहिये कि वे समय-समय पर सरकार को अपना मार्गदर्शन प्रदान करें। उन्होंने गणेशसिंह गरीब को चकबंदी कार्यक्रम में हर सम्भव मदद करने का आश्वासन दिया। अध्यक्षता कर रहे विद्यादत्त शर्मा अपनी कविताओ के माध्यम से वर्तमान उत्तराखंड की स्थिति से श्रोताओं को रूबरू कराया और कहा कि पलायन देखा देखी से हो रहा है। पहाड़ की जिन्दगी मैदान की जिन्दगी से कई गुना बेहतर है। इस कार्यक्रम में ब्लॉक अध्यक्ष काँग्रेस संजय डबराल, कनिष्ठ प्रमुख दरबान सिंह नेगी, पूर्व प्रमुख सुरेन्द्रसिंह नेगी, पूर्व क्षेत्र पंचायत जयकृत पटवाल आदि ने भी सम्बोधित किया। स्कूली बच्चों के इसमें भाग लेने से नई पीढी की भागीदारी दिखी तो कनिष्ठ प्रमुख, ज्येष्ठ प्रमुख, क्षेत्र पंचायत सदस्य और 30 से अधिक प्रधानों, बीडीसी सदस्यों, पूर्व प्रमुख, सामाजिक कार्यकर्ताओं एवं किसानों की भागीदारी होने से यह अपने उद्देश्य में कामयाब रही। कार्यक्रम में अर्जुन पटवाल, जयेन्द्र पटवाल, कमलेश्वर प्रसाद, सुधीर कुमार, कुलदीप खुगशाल, बृजमोहन भट्ट आदि उपस्थित रहे।
इस कार्यक्रम में गरीब क्रान्ति की बेबसाइट को लांच किया गया जिसका यूआरएल पता गरीब क्रान्ति डाट इन है। अब लोगों को इस अभियान की सूचनायें अधिक प्रभावी तरीके से मिल सकेंगी। कार्यक्रम में अभियान के द्वारा क्षेत्र के दो पत्रकारों जगमोहन डांगी और डाॅ जीतेन्द्र जोशी को वरिष्ठ पत्रकार दिनेश डोभाल के द्वारा तथा ब्लाॅक काॅग्रेस कमेटी के अध्यक्ष संजय डबराल को गरीब जी एवं विद्यादत्त शर्मा के द्वारा शाल ओढ़ाकर सम्मानित किया गया।