पहाड़ी राज्य उत्तराखण्ड के स्वर्णिम भविष्य के लिए 1975 से प्रयासरत अपने जीवन की सम्पूर्ण खुशियाँ न्यौछावर करने वाले चकबन्दी आंदोलन के प्रणेता गणेश सिंह गरीब जी के सम्मान और चकबन्दी के व्यापक प्रचार प्रसार के लिए गत वर्ष 1मार्च 2012 से शुरू की गई मुहीम ‘‘चकबन्दी दिवस’’ पिछले वर्ष की भांति इस वर्ष भी जनसहयोग से मनाया जायेगा। और उत्तराखण्ड की जनता से अपील है कि 01 मार्च को पिछले वर्ष की भांति अपने-अपने घरों सांय 7 बजे दिये या मोमबत्ती जलाकार ‘‘चकबन्दी दिवस’’की पहली वर्ष गाँठ को सफल बनाने में अपना योगदान सुनिश्चित करें।
भले ही राज्य सरकार ने चकबन्दी किये जाने के बाबत घोषणा की हो लेकिन खेती किसानी और आंदोलन से जुडे व्यक्ति धरातलीय कामों का सम्मान करते हैं। राज्य गठन के बाद सरकारें लम्बे समय से बेरोजगार युवाओं की नौकरी की मानसिकता त्यागने, वैज्ञाानिक तरीके से लाभकारी खेती करने,बागवानी,फलोत्पादन,जड़ी बूटी की खेती,चाय उत्पादन ,फूल,सगन्ध पौधों का कृषिकरण,कृषि वानिकी,जल संरक्षण,घरेलू उद्योग आादि करके गाँव में रोजगारोन्मुखी सुझाव देती आ रही हैं। किन्तु चकबन्दी जैसी कल्याणकारी किसानोन्मुख, ग्रामोन्मुखी,रोजगारोन्मुखी समाधान की ओर ध्यान नही दिया जा रहा है। क्षेत्र से लगातार चकबन्दी की मांग हो रही है और विशेषज्ञ,योजनाकार शासन व प्रशासन मंे बैठे सभी लोग कह रहे हैं ”चकबन्दी के बिना विकास संभव नही है और चकबन्दी ही विकास की कुँजी बन सकती है।“ चकबन्दी जैसे मुद्दे पर एक पहल की आवष्यकता है जिसमें इस आन्दोलन से जुड़े धरातलीय लोग,पंचायतों से जुड़े लोग,जनप्रतिनिधियों,विधायक,मंत्री,अधिकारियों एंव चकबन्दी विशेपज्ञों की एक बैठक की व्यवस्था की जाय जिसमें चकबन्दी से जुड़े उक्त सभी सवालों पर खुली बहस हो ताकि सुझाव सामने आ सके और प्रारूप बनने की दिशा में काम हो सके।
यह जानकारी चकबन्दी कार्यकर्ता एंव गरीब क्रान्ति (एक आंदोलन) के संयोजक कपिल डोभाल के द्वारा दी गई।